हम तन्हा तसल्ली से रहते है बेकार उलझाया ना करे !
ज़िन्दगी तुम मेरी बन जाओ रब से और क्या माँगू,
खरीददार दर्द भी दे गया और दिल भी ले गया !
तू ही दुनिया है मेरी, यही सोचता हूँ मैं।
आवाज़ लगाओगे जब तुम तो सब तेरा हो जाएगा, शमा तुझे पुकारेगा और तू मेरा हो जाएगा।
लेकिन मुझे हर खुशी में सिर्फ़ एक तू चाहिए।
मिरी ज़िंदगी तो गुज़री तिरे हिज्र के सहारे
जब जाते हैं सीमा की ओर धरती के धड़कनों को संभालने
ये आग कि लिपटें, ये धुआं और धुएँ से बना काजल सब अनायास लगते हैं, मुझे जो कभी उसके सजावट का समान होते थे।
के अकसर ही टूट जाते हैं हम, पत्थर से ठोकर खा कर गिर जाते हैं हम।
तुम्हारे मिलने के बाद नाराज़ है रब्ब मुझसे,
"कोई तो नया रंग भर, एक उमंग तो भर, कुछ shayri नया तो कर।"
अब इश्क़ के अलावा कोई काम नहीं सूझता, एक तुम हो और बस मैं हूँ।
उनके घर के दरवाज़े पर बजता है वीरता का ताल गर्व की संगान।